भारत में यूरोपियों का आगमन
भारत में यूरोपियों का आगमन
भारत के आर्थिक संपन्नता, प्राचीन संस्कृतिक विरासत, कला, दर्शन आदि से प्रभावित होकर मध्यकाल में बहुत से यूरोपीय कंपनियों का भारत
में आगमन हुआ।
भारत में यूरोपियों का आगमन
भारत में यूरोपीय कंपनियों के आगमन का क्रम:-
1.
पुर्तगाली
2.
डच
3.
अंग्रेजी
4.
डैनिक
5.
फ्रांसीसी
6.
स्वीडिश
पुर्तगाली:-
1453 ई० में कुस्तुन्तुनिया का पतन हुआ। अतः तुर्कों का यूरोप की ओर जाने वाले
स्थल मार्ग पर अधिकार हो गया।1487 ई० मे बार्थोलोम्यो
डियाज ने उत्तमाशा अंतरीप (Cape of Good Hope) का पता लगाया।
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17
मई 1498 को हिन्दुस्तानी
व्यापारी अब्दुल मुनीद नायक गुजराती की सहायता से वास्कोडिगामा केप
ऑफ गुड होप उत्तमाशा अंतरीप से होते हुए भारत के पूर्वी तट पर स्थित
बंदरगाह कालीकट पहुंचा पहुंचकर भारत के नए समुद्री मार्ग की खोज की।
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कालीकट के तत्कालीन शासक जमोरिन
ने वास्कोडिगामा का स्वागत किया पुर्तगालियों को भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज
करने का प्रोत्साहन पुर्तगाली राजा कुमार हेनरी ने दिया।
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सन 1501 ईसवी में
वास्कोडिगामा भारत आया और उसने कन्नूर में एक कारखाने की स्थापना की। वास्कोडिगामा
1503 ईस्वी में पुर्तगाल लौट गया कालांतर में अरबों के
प्रतिरोध के बावजूद पुर्तगालियों ने कालीकट कोचिंग और कन्नूर में अपने व्यापारिक
केंद्र खोलने में सफल रहे
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1505
ईस्वी में पुर्तगाली अधिकृत पहला वायसराय फ्रांसिस्को अलमेड़ा
बना अस्तर भूभाग पर अधिकार करने पर विशेष जोर ना देकर समुद्री मार्ग के विकास पर
विशेष जोर दिया उसकी इस नीति को ब्लू वाटर नीति कहा गया है।
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भारत में पुर्तगाली अधिकृत प्रदेशों
का दूसरा वायसराय 1509
ईस्वी में अल्बूकर्क बना वह एक महान विजेता था।
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उसने 15010 ईस्वी में गोवा पर अधिकार कर लिया 1515 ईस्वी में अल्बूकर्क फारस की खाड़ी के द्वीप को जीत लिया
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पुर्तगाली वायसराय अल्बूकर्क
को पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। इसकी मृत्यु के
बाद भी पुर्तगालियों की शक्ति बढ़ती गई अतः 1534 ईस्वी में दीऊ
तथा वसीन पर भी अधिकार कर लिया।
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पुर्तगाली गोवा पर 1961 ईस्वी तक शासन करते रहे।
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पुर्तगाली सामुद्रिक साम्राज्य को एस्तादो
द इण्डिया नाम दिया गया।
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पुर्तगीजों का व्यापारिक केंद्र
कालीकट, कोचीन, गोवा, दमन, मुंबई, सूरत, मीटगांव और हुगली।
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1662
में ब्रिटिश राजकुमार चार्ल्स द्वितीय की शादी पुर्तगीज
राजकुमारी कैथरिन से हुई एवं दहेज के रूप में मुंबई अंग्रेजों को प्राप्त
हुआ।
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1622
ईस्वी में अंग्रेजों ने ओरमुज पर कब्जा कर लिया। श्रीलंका स्थित
पुर्तगाली व्यापारिक केंद्र पर डचों का कब्जा हो गया।
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1641
इसमें में डचों ने मलक्का पर कब्जा कर लिया। 1651ई० में उत्तमाशा अंतरीप पर कब्जा कर लिया। अंत में पुर्तगीजों के पास गोवा
दमन दीव बच गया जिस पर भारत ने 1961 में कब्जा कर लिया।
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महत्वपूर्ण तिथियाँ:-
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1498ई० - वास्कोडिगामा का भारत आगमन
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1500ई० - द्वितीय पुर्तगाली यात्री पेड्रो अल्बेयर्स कैब्रल का भारत आगमन
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1503ई० - अल्बुकर्क का भारत आगमन
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1505ई० - एक नई नीति अपनाई गई जिसके अंतर्गत 3 वर्षों के
लिए एक गवर्नर को नियुक्त किया गया।
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1505
- 09ई० - पुर्तगीजों का पहला गवर्नर डी-अल्मीडा बना।
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1510ई० - अल्बुकर्क ने बीजापुर से गोवा छीन लिया।
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1515ई० - प्रथम चर्च का निर्माण गोवा में किया गया जिसका नाम सेंट जेवियर चर्च
था।
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1530ई० - नीनो-डी-कुन्हा के समय ही गोवा पुर्तगालियों की राजधानी बनी।
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1560ई० - गोवा में ईसाई धर्म न्यायालय की स्थापना की गई।
पुर्तगालियों की देन:-
पुर्तगालियों ने भारत में तंबाकू की खेती का प्रचलन किया। 1556 ईस्वी
में पुर्तगालियों ने भारत में पहली प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की।
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