तुर्कों का भारत पर आक्रमण- महमूद गजनवी और मोहम्मद गौरी


तुर्कों का भारत पर आक्रमण- महमूद गजनवी और मोहम्मद गौरी 

 
तुर्कों का भारत पर आक्रमण- महमूद गजनवी
महमूद गजनवी 
महमूद गजनवी:-

भारत में तुर्कों के आक्रमण दो अलग-अलग चरणों में संपन्न हुए। पहले चरण के आक्रमण 1000-1027 ई० के मध्य गजनी के शासक महमूद गजनवी जो गजनी के शासक सुबुक्तगीन के पुत्र द्वारा किए गए यद्यपि इससे पूर्व महमूद गजनवी के पिता सुबुक्तगीन का संघर्ष हिंदू शाही शासकों के साथ हुआ था, मगर उसका क्षेत्र सीमित था।
महमूद गजनवी
गजनवी साम्राज्य

  • महमूद गजनवी ने उत्तरी भारत के एक वृहद क्षेत्र में सैनिक अभियान किए।
  • अपने पिता के शासनकाल में महमूद गजनवी खुरासान का शासक था।
  • 997 ई० में सुबुक्तगीन की मृत्यु के बाद उसे अपने भाई इस्लाम से संघर्ष करना पड़ा जिसे पराजित कर 998 ई० में गजनी सिंहासन पर बैठा बगदाद के खलीफा (मुसलमानों के धर्मगुरु) अलकादिर बिल्ला ने इसे यामीन-उद-दौला तथा यामीन-उल-मिल्ला की उपाधियों से विभूषित किया।
  • इतिहासकारों के अनुसार यह इस्लाम का प्रथम सरदार था।
  • फिरदौसी महमूद गजनवी के दरबार का प्रमुख कवि था महमूद गजनवी अपने आपको ईरानी बादशाह अफरासियाब का वंशज मानता था।

भारत पर महमूद गजनवी के आक्रमण के कारण


  • भारत में महमूद गजनवी के विभिन्न आक्रमणों का मुख्य उद्देश्य धन की प्राप्ति थी।
  • भारत पर उसका कोई राजनीतिक स्वार्थ नहीं था।
  • वह ईरान और मध्य एशिया को जीतने के लिए उत्सुक था। जो भाषा, धर्म और संस्कृति के दृष्टिकोण से गजनी के समान था।
  • इस क्षेत्र में बिखरे हुए क्षेत्रों को जीतना महमूद गजनवी का लक्ष्य था, परंतु इसके लिए सैनिक साधन जुटाने अनिवार्य थे, और इसके लिए धन की आवश्यकता थी।

महमूद गजनवी ने कितने बार भारत पर आक्रमण किये


  • महमूद गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया इसका पहला आक्रमण 1000 ई० में भारत के सीमावर्ती दुर्ग को जीतकर प्रारंभ किया।
  • 1001-02 ई० में उसने पेशावर और वैहिन्द पर अभियान किए।
  • 1006 ई० में महमूद गजनवी ने मुल्तान पर आक्रमण किया तथा फतेह दाऊद को पराजित किया।
  • 1008 ई० में महमूद गजनवी ने लाहौर के शासक आनंदपाल पर आक्रमण किया जिसमें वह आनंदपाल से हारते-हारते बचा।
  • 1009 ई० में महमूद गजनवी ने नगरकोट पर आक्रमण किया तथा ज्वालामुखी मंदिर को लूटा।
  • 1026 ई० में महमूद गजनवी ने गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया।
  • महमूद गजनवी का अंतिम अभियान 1027 ई० में जाटों के विरुद्ध था।

महमूद गजनवी के आक्रमणों के परिणाम


  • महमूद गजनवी के आक्रमणों के परिणाम विभिन्न स्तरों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में देखे जा सकते हैं। राजनीति क्षेत्र में उसके आक्रमण का प्रत्यक्ष परिणाम महत्वपूर्ण नहीं था।
  • लेकिन उसकी आक्रमण के पश्चात उत्तरी भारत का सीमांत क्षेत्र पहले की भांति सुरक्षित नहीं रहा और किसी भावी आक्रमणकारी के लिए उतरी भारत की विजय का काम आसान हो गया।
  • भारत से लूटे गए धन का उपयोग महमूद गजनवी ने साम्राज्य निर्माण के साथ-साथ अपने राज्य के गौरव में वृद्धि के लिए किया।
  • महमूद गजनवी को भारत से युद्ध के लिए हाथियों की उपयोगिता का ज्ञान हुआ। महमूद के आक्रमण ने भारत के बहुमूल्य सांस्कृतिक धरोहरों को नष्ट कर दिया।
  • लेकिन अप्रत्यक्षतः इन आक्रमणों ने इस्लामी और हिंदू संस्कृति के बीच संपर्क में योगदान दिया।
  • महमूद गजनवी द्वारा एक मध्य एशियाई विद्वान अलबरूनी को प्रश्रय दिया गया जिसने भारतीय संस्कृति का अध्ययन किया।
  • सन 1030 ई० महमूद गजनवी की मृत्यु हो गई महमूद गजनवी की मृत्यु के साथ साथ सल्जूक ( सीरिया, ईरान और मावराउन्नहर ) नामक एक शक्तिशाली साम्राज्य अस्तित्व में आया।

तुर्कों का भारत पर आक्रमण- मोहम्मद गौरी

तुर्कों का भारत पर आक्रमण- महमूद गजनवी और मोहम्मद गौरी
मोहम्मद गौरी 

मोहम्मद गौरी का भाई गौर नामक एक छोटे से राज्य के कबीले का अफगानी था। इसने गजनी को जीतकर अपने भाई मोहम्मद गौरी को शासक नियुक्त किया।
  • मोहम्मद गौरी का भारत पर पहला आक्रमण 1175 ई० में मुल्तान पर हुआ तथा उसने मुल्तान को जीत लिया।
  • इसके बाद 1178 ई० में गौरी का आक्रमण गुजरात के शासक मूलराज द्वितीय अथवा भीमदेव द्वितीय पर हुआ जिसमें गौरी बुरी तरह पराजित हुआ।
  • 1181 ई० में गौरी ने लाहौर पर आक्रमण किया उस समय वहां खुसरो मलिक का शासन था उसने बिना युद्ध किए ही गौरी के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
  • मोहम्मद गौरी ने 1191 ई० में दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया पृथ्वीराज चौहान ने थानेश्वर के नजदीक पानीपत में मोहम्मद गौरी को हराया जिसे तराइन की प्रथम लड़ाई के नाम से जाना जाता है।
  • तराइन की दूसरी लड़ाई मोहम्मद गौरी तथा पृथ्वीराज चौहान के बीच 1192 ई० में हुआ इसमें चौहान पराजित हो गया तथा गौरी ने उत्तर भारत पर अधिकार कर लिया।
  • 1194 ई० में चन्दाबर की लड़ाई में कन्नौज के राजा जयचंद को हराया उसकी मृत्यु के पश्चात उत्तरी भारत का मध्य भाग तुर्कों की सत्ता के अधीन आ चुका था।

 
तुर्कों का भारत पर आक्रमण- महमूद गजनवी और मोहम्मद गौरी
मोहम्मद गौरी का साम्राज्य



मोहम्मद गौरी के आक्रमणों के परिणाम


  • मोहम्मद गौरी के आक्रमणों के तत्कालिक प्रभाव राजनीतिक प्रशासनिक और आर्थिक क्षेत्र में प्रकट हुए।
  • जबकि दीर्घकालिक परिणाम सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन के क्षेत्रों में प्रकट हुए।
  • भारत में दिल्ली सल्तनत के नाम से एक नए राज्य की स्थापना हुई और इसने उत्तरी भारत में पुनः राजनीतिक एकता कायम करने में योगदान दिया।
  • राजपूत काल की विकेंद्रित शासन प्रणाली के स्थान पर अब एक केंद्रीय शासन प्रणाली का विकास हुआ।
  • व्यापार वाणिज्य को प्रोत्साहन मिला तथा नगरीकरण की प्रवृत्ति बढ़ी।
  • भारत में तुर्क शासन की स्थापना से इस्लाम का विस्तार और बड़े क्षेत्र में हुआ भक्ति आंदोलन व सूफी आंदोलन हुआ क्षेत्रीय भाषा का विकास हुआ एक नई और मिश्रित स्थापत्य शैली का विकास हुआ।

तुलनात्मक अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि महमूद गजनी और मोहम्मद गौरी दोनों ने ही भारत में सत्ता की स्थापना के क्रमिक विकास में योगदान दिया लेकिन गौरी का उद्देश्य भारत में राजनीतिक था जो इसे गजनी से पृथक करता था।
1206 में मोहम्मद गौरी को युद्ध में खोखरों ने मार डाला तथा इसकी मृत्यु के उपरांत भारत में कुतुबुद्दीन ऐबक स्वंय को स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया और इस प्रकार भारत में दास वंश या मामलूक  वंश का शासन प्रारंभ हुआ और मोहम्मद गौरी का दूसरा गुलाम यल्दोज गजनी का उत्तराधिकारी बना।
  • मोहम्मद गौरी के सिक्कों पर लक्ष्मी की आकृति अंकित है।
  • अक्ता प्रथा सर्वप्रथम मोहम्मद गौरी ने चलाया।


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